मेरा दावा हैं की वो मुझे भूली नहीं होगी. इतनी मोहब्बत किसी से मिली नही होगी। मेरे संग थी , कली थी, मुस्कुराती थी , पता हैं अब फूल हैं मगर खिली नहीं होगी।
देखो हम प्यार करेंगे तुमसे टूटकर। तुम जा नहीं पाओगे हमसे छूटकर। धड़कनो को आराम मिले गले लग जाओ , जाना नहीं कभी जानां हमसे रूठकर। गजब बाजीगरी थी कातिल की नजर मे, नजर नजर में ले गया सब कुछ मुझसे लूटकर। मुझे मंजूर हैं हर तभाही इश्क़ में तेरे , जुदा न होना कि रोये न दिल मेरा टूटकर।
लजा जाता हैं जब सुनता हैं, कही वो इश्क़ का चर्चा। दिलों की महफ़िल में शुरू फिर, पुराने इश्क़ का चर्चा। कोई अगर पूछ ले उससे, क्या हैं एहसास मोहब्बत का। गुड़ गूंगे का लो मजा बस, क्यों लफ्जो का बेकार का खर्चा। मिलना था ,ना मिल पाए, अब गैरो की अमानत वो। मगर रखता है मेरे दिल मे, खुदा से पहले वो दर्जा। गलत है गर नाम लेकर मैं, करू रुसवां चाहत को। गुपचुप इश्क़ करने में, बताये क्या भला हर्जा।
वो चला गया तो लौट के वापस नहीं आया। मेरे साथ रहा था जो कभी बनके साया। जिन्हे एहसास कराया उल्फत का हमने , वो कहते हैं की हमे ढंग से जताना नहीं आया। साँसों से, आँखों से , इशारो से बयाँ की, जालिम को ना जाने क्यूँ समझ नहीं आया। इश्क़ तो ऐसा था कि एक मिसाल बनता , पर ना मुझे मिला ना उसी के काम आया। उतरते कैसे हैं दिल मे मालूम था मुझे, पर दिल से किसी को जुदा ना करना आया।