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मार्च 3, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या कहूँ कैसे कहूँ

दिल के जज्बातो को उससे क्या कहूँ कैसे कहूँ। हैं मोहब्बत उससे कितनी क्या कहूँ कैसे कहूँ। सैलाब अरमानो का निकला आँखे चीरकर मेरी, इससे ज्यादा हाले दिल अब क्या कहूँ कैसे कहूँ। वादे करके तोड़ देना फितरत हैं मेरे यार की , आदतों को उसकी अब क्या कहूँ कैसे कहूँ। कतरा कतरा दिल का मेरे कातिल के सजदे मैं हैं जालिम से मोहब्बत को अपनी क्या कहूँ कैसे कहूँ।