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अप्रैल 1, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
उसके यकीन में शामिल शायद था , शक मेरी वफाओ पे उसको शायद था. एक हसीं कल की तलाश थी उसको, खुदा ने बक्शा उसे जो उसका सपना शायद था. 
कोई तड़फ रहा हैं मुझमे , कोई बिखर सा रहा हैं। जबकि आज तेरी यादे हैं, तू भी हैं और मैं भी हूँ।