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सितंबर, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बेदर्दी जिन्दगी ......

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जिन्दगी तेरी बेदर्दी का अगर पहले से पता होता , तो आदम ने पैदा होने से मना कर दिया होता . तुझको एहसास ही नही, गम जो भी बख्शे तुने , फरिस्ते को मिले होते तो वो भी रो दिया होता .

खता मेरी नजरो की

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खता  मेरी  नजरो  की  नही    हुजूर , कसूर आपकी  कमबख्त  जवानी  का हैं . न  इलज़ाम  दे  कोई   मेरी   धडकनों को , ये असर आपके  बलखाते हुस्न की रवानी का हैं .

डर.....

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उसको ये डर कि सरेआम इज़हार ना कर दे .  मुझको ये डर कि वो इंकार ना कर दे . सोती है चेहरा छुपा के हाथो से सारी रात , डर ये कि कहीं कोई प्यार ना कर दे .

आपका चेहरा

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न जाने कितनी ग़ज़ल है तेरे चेहरे पर हर रोज़ एक नई लिखता हूँ तुझे देखकर .