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नही गवारां ओर कोई .......

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आखिरी मुलाकात के बाद उनसे , आँखे बंद है मेरी, धडकनों को मेरे  दिल की  नही गवारां ओर कोई . तू चाहे किसी को भी बना ले हमसफ़र अपना , पर सिवा तेरे ,आगोश मे नही  गवारां ओर कोई .

इस प्यार का पता कैसे चलता हैं .....

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नही पता ,इस प्यार होने  का पता कैसे चलता हैं , इसमें क्या खो जाता है ,क्या मिलता है . कोई कहता हैं ,दिल की धडकने बढ़ जाती हैं , कोई कहता हैं , उसे देखकर आँखे झुक जाती हैं . पर मुझे तो ,ना दिल का ख्याल रहता हैं , ना अपनी निगाहों पे कमान रहता हैं , कोई कहता हैं , नींदे उड़ जाती हैं , कोई कहता हैं ,जिन्दगी बदल जाती हैं , पर मेरे तो ख्वाबो में तू हैं . और मेरी तो जिन्दगी तू हैं . कोई कहता हैं , उससे मिलने की आरज़ू होती हैं . कोई कहता हैं ,हर पल उसी से गुफ्तगू होती हैं . मगर मैं हूँ ही नही , मैं तो तू हैं . फिर तू कैसे भला खुद से कर सकती गुफ्तगू हैं . सच तो ये हैं कि अब अपने वजूद का अहसास नही . कोई पल नही ऐसा जब तू मेरे पास नही.

वो बिछड़ता चला गया..........................

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वो उतरा मेरी रूह मे ,और उतरता चला गया , मैं खुद ही मे दोस्तों , बिखरता चला गया . इस पहाड़ सी जिन्दगी मे ,वो लम्हा बस अपना , उसके आगोश मे  जब ,मैं पिघलता चला गया . हर साँस मे वो थी ,हर धडकन मे वो थी , लाख रोका उसे पर वो बिछड़ता चला गया . सब रस्मे ,सब कसमे ,निभाई इश्क मे मैंने , पर अकड मे वो अपनी ,झगड़ता चला गया . और क्या ?जिन्दगी के आखिरी लम्हे में दिल "दीपक" , लेकर उसी का नाम दुनिया से धडकता चला गया .

हालात......

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उम्मीदों  को  पंख  लग  गये हैं  अब , इसलिए  शायद  पूरी   नही     होती . वो समझा होता हालातो की असलियत! तो आज शायद इतनी दूरी नही होती. दुआ हैं कि तुझे गम का दीदार भी ना हो , दिल से मांगी दुआ कभी अधूरी नही होती . वो चेहरा छुपा के निकलता है रास्तो पर , दोस्त ! हर नजर की आदत बुरी नही होती .