इंतज़ार....................................
दोस्त तेरी आवाज़ की अब गूँज नही आती . तेरी याद तो बहुत आती है मगर तू नही आती . तू देखना चाहती है मेरे इंतज़ार की हद को , मैं भी देखता हूँ तू कब तक नही आती . बहुत असर है संगदिल मेरी दुआओ मैं , देखता हू तू कैसे थामे जिगर नही आती , एक मैं हूँ जो मिट सा गया हूँ तेरी चाह में . एक तू है जिसे शरम तक नही आती . poet.tyagi.poem@gmail.com