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मई, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इंतज़ार....................................

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दोस्त तेरी आवाज़ की अब गूँज नही आती . तेरी याद तो बहुत आती है मगर तू नही आती . तू देखना चाहती  है मेरे इंतज़ार की हद को , मैं भी देखता हूँ तू कब तक नही आती . बहुत असर है संगदिल मेरी दुआओ मैं , देखता हू तू कैसे थामे जिगर नही आती , एक मैं हूँ जो मिट सा गया हूँ तेरी चाह में . एक तू है जिसे शरम तक नही आती .                                                                 poet.tyagi.poem@gmail.com

..........................बहुत हैं

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जानते हैं कि आप खूबसुरत बहुत हैं . लेकिन आपसे भी खूबसुरत बहुत हैं . मुश्किलो से मिलता है इंसान कोई . हाँ इंसानों की शक्ल में हैवान बहुत हैं . क्या जरूरत है तलवार उठाने की ? कत्ल के लिए दो अलफ़ाज़ बहुत हैं . फ़िज़ूल वक़्त गुजारना क्यूँ नमाज में ? किसी रोते हुए बच्चे को हँसाना  बहुत है .  ज्यादा की हवस नही रखिये दिमाग में . आदमी को झोपड़े का आशियाँ बहुत है . कुत्तो से सीख लीजिये वफा की अदा , इन आदमियों से कुत्ते बेहतर बहुत है . मैं नही मांगता घर में चाँद की चांदनी  , मुझे तो एक "दीपक" की रौशनी बहुत है

उसका ये तोलिया ..........

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लिपटा हुआ हैं जो उसके बदन से तोलिया. दीवार सी बीच में हैं उसका ये तोलिया . चिपट जाता है सीने से किस कदर ये बेहया , हर अंग को चूमता है उसका ये तोलिया . बना लिया उसने भी इसे हमराज अपना , धडकनों को गिनता है उसकी ये तोलिया . बेबस हूँ किसको बताऊ बेबसी अपनी ,  कैसे अलग करू उसके बदन से तोलिया .

कहाँ जाऊंगा .......................

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                                                         रुखसार से अगर टपका तो कहाँ जाऊंगा . तेरी आँख का मोती हूँ दामन में सिमट जाऊंगा . दामन से गिरा दोगे अगर मुझको जमीं पर धूल में मिलकर तेरे कदमो से लिपट जाऊंगा .

मैं और मेरा परिवार ...........

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दिल बार बार करता है ,दिल बार बार है कहता . अरमानो को गूंथकर शब्दों को पिरोकर एक लिख दू कविता.            जिसमे एक पिता हैं जो                   प्यार करता है सुबह के उगते सूरज सा                    कर्तव्य में झुलसता है दोपहर के सूरज सा और जिसका मजबूर बुढ़ापा हो शाम का ढलता सविता . अरमानो को गूंथकर ................            जिसमे एक माँ  हो ,                                जिसका ह्रदय होता है निर्मल                               प्यार बरसता है जिसमे बनके बादल. लबो पे जिसके शिकायत नही वो प्यारी पावन माता . अरमानो को गूंथकर ................        जिसमे एक बहन है जो ,                                शरारते करती है अक्सर पीट देती है                          पकडकर कान खीचकर लाल कर देती है और फिर बड़ी होकर ,किसी की होकर ,तोड़ लेती है रिश्ता अरमानो को गूंथकर ................          जिसमे एक भाई है .                                    जिसके साथ पढ़ते है लड़ते है ,                                    छोटी २ बातो पर खूब झगड़ते है , और फिर बिछड़ जाते है किनारों की तरह ,बेचारी

मेरी किस्मत......

चाहा जिसे भी मैंने वही बेवफा हुआ , किस्मत बुरी है मेरी मुकद्दर खफा हुआ . खुद की नज़र में जो कुछ भी न थे कभी , सजदा किया जो मैंने वो शक्स खुदा हुआ . मौजूद थे जब तलक वो रोशन था चमन ये , हर कांटा रो पड़ा , जब वो गुल जुदा हुआ . तेर सादगी भी कयामत है मानो मेरा यकीं . खुदाई को जला के रख देगा, तेरा आँचल गिरा हुआ .                                                               poet.tyagi.poem@gmail.com  

कोई बात नही ...

मुझको नही मिले तुम तो दोस्त क्या हुआ ? इस जमीं ने कब भला वो आसमां छुआ ? जिन्दगी में न आ सकू इसलिए ये कीजिये ठोकर से हटा दीजिये ये पत्थर पड़ा हुआ . तुमसे वफा की हमने कसमे है चंद खाई . बेवफाई से कभी इंसान बड़ा हुआ ? मुझको खबर है दिल में तेरे रोशन है और कोई. रखते है लोग घर में कहाँ दीपक बुझा हुआ ?                                                                                       

वो दोस्त कौन थी ?

पहली नज़र में बन गयी , वो दोस्त कौन थी ? दिल में जो उतर गयी , वो दोस्त कौन थी ? बाते वफा की यूँ तो करती थी बड़ी बड़ी , वादों से मुकर गयी ,वो दोस्त कौन थी ? चुपचाप जिसकी सादगी आँखों के रास्ते घर जिगर में कर गयी ,वो दोस्त कौन थी ? मासूम सा ख्वाब बन मेरे दिल पे जो मोतियों की बूंदों सी बिखर गयी वो दोस्त कौन थी ? बड़ी बेरुखी से मेरे रख के जो पावँ दिल पे , हँस के गुजर गयी वो दोस्त कौन थी ? जिसकी वजह से दीपक एक जिन्दा आदमी की , अरे खुद कब्र गयी वो दोस्त कौन थी ?

हकीकत...

सभी हमदर्द है मेरे ,हर कोई दोस्त बनता है . हाले दिल मगर मेरा कहां कोई समझता  है. मुझे दो बात समझाकर,हो जाते है सब फारिग . मगर तन्हाई में तन्हा मेरा ही दिल सिसकता हैं .                                                     poet.tyagi.poem@gmail.com

दुआ.....

वो रोज़ नमाज़ों में इल्तजा  करते हैं . खुदा से मेरे मरने की दुआ करते हैं. यकीन उनको हैं वफाओ पे मेरी. खुद शायद बेवफाई के इलज़ाम से डरते है .

बस एक बार .......

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आ भी जाओ तुम बस एक बार . कुछ कहना है और करना है हमको तुमसे प्यार .. (तू अपना है ,ये सपना है ) - २ ,पूरा कर दे यार .        कुछ कहना है और करना है हमको तुमसे प्यार . (दिल का है कहना ,तेरे दिल में रहना)-२ कर भी लो इकरार . कुछ कहना है और करना है हमको तुमसे प्यार . (झूठी सारी बाते है ,कितनी प्यारी राते हैं)-२ ना करो इनकार . कुछ कहना है और करना है हमको तुमसे प्यार .

बस आप हो दिल में

होश हो गये हैं मेरे गुम से . जब से आँखे मिलायी हैं तुमसे .        बढने लगी है मेरी बेचेनिया        डसने लगी हैं मुझको तन्हाइया डरने लगे है जुदाई के गम से ... जब से आँखे ................         धडकनों में मेरी रहते हो तुम .          हवाओ के जैसे बहते हो तुम . मेरी साँसों की सरगम से ...... जब से आँखे ................

मैं दीवाना दोस्तों

बेवफाओ में फंसा हूँ मैं दीवाना दोस्तों , हैं यहाँ सबका मिजाज़ शातिराना दोस्तों. चार दीवारे और एक छत से घर कँहा बनते भला , खन्डहर में तान दिया है शामियाना दोस्तों . एक तरफा इश्क मे होता है अक्सर यही. दिल के एक एक ख्वाब का टूट जाना दोस्तों . जिन्दगी का हैं गमो से वास्ता हरदम मेरा , दिल में जबसे दिया है उनको आशियाना दोस्तों. उनकी दोस्ती से लाख अच्छी दुश्मनों की दुश्मनी , मुझको ले डूबा हैं उनका दोस्ताना दोस्तों . होंठो को अक्सर भींचकर तिरछी नजर से देखना , बातो का अंदाज उनकी हैं कातिलाना दोस्तों .

कैसे बताऊ .....?

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कैसे बताऊ तुमसे , तुम क्या हो मेरी खातिर , साँसे तुम्ही से शुरू होती है, तुम्ही हो तमन्ना आखिर . मैं कंहा जानता हूँ  ये चीज क्या खुदा है ? मैं तुम्हे जानता हूँ ,मैं नही जानता  मुझे हुआ क्या है ?     दुआ की सी मासूमियत छलकती है तुम्हारी आँखों से , एक मदहोशी की सी खुशबू निकलती है तुम्हारी साँसों से . समंदर की लहरों ने तुम्ही से तो चलना सीखा है , कलियों ने तुम्ही से जाना मुस्कराने का तरीका है . कैसे बताऊ ? कि जी नही सकता तेरे बिना साथी , क्या वजूद रखता है भला एक "दीपक" बिना बाती. कैसे बताऊ ? भला तुझे दिल की मैं आरजू . मौत जब आये तो आँखों के सामने हो तू . कैसे बताऊ मै तुझे ? तेरे लिए क्या कर सकता हूँ . मैं अपने जिस्म से अपनी रूह जुदा कर सकता हूँ . मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा यूँही हंसती रहो , हसीं प्यारे ख्वाबो मे तुम संवरती रहो .

ख्वाइश......

तमन्ना है कि रहूँ हरदम तेरी निगाहों मे. सुकून मिलता है मुझे तेरी बाहों मे . गरम धूप है तन्हाई की जलता हू, कुछ देर को रख ले जुल्फों की पनाहों मे. तू साथ देने का वादा करे अगर , मै आबे हयात बहा दूंगा इन सहराहो में. जिन्दगी दे या मौत दे ,मंजिल तो मिले , यूँ छोड़ के न जा बीच राहो  में . तेरे होठो पर हंसी रहेगी कायम यूँही , बहुत असर है संगदिल मेरी दुआओ में .

आपके लिए ...

मैं भी उनका हू , मेरा जंहा उनका . मेरी तो जिन्दगी का हर लम्हा उनका . उनको हमसे नफरत है तो क्या हुआ , मेरे तो दिल पे लिखा है नाम उनका . वो मुझे याद नही करते हकीकत है, हम ख्वाबो में भी करते है दीदार उनका . वो जिसे चाहते है वो हासिल हो उन्हें , खुशियों से भरा रहे घर उनका .