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बहुत...

मत पूछ मुझको हुआ क्यों मिलके दर्द बहुत.  जख्म खुले थे ,और वो था नमकीन बहुत.

तड़फते होंठ मेरे...

तड़फते होंठ मेरे और तरसती प्यास तेरी  क्या इतना काफी नहीं इश्क़ होने के लिए

हम मिल जाते अगर

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ख्यालो ख्यालो मे  एक ख्याल आया , हम मिल जाते अगर। जमीं से फलक  सब  कुछ था अपना, हम मिल जाते अगर। ना  चैन मिलता लबो  को हमारे ना फिर तरसता यूं  दिल , इंतहा से मोहब्बत की जाते  गुजर , हम मिल जाते अगर। तुम्हे  वादियों  मे दिल की घुमाता, पलको पे  रखता बिठाकर , साँसों से तेरी  मै आता जाता , हम मिल जाते अगर। बाँहों  मे तुझको रखता समेटे ,बिखरने  ना देता कभी, खवाबो  को तेरे चुन चुन  सजाता हम मिल जाते अगर।