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अक्तूबर 14, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हालात......

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उम्मीदों  को  पंख  लग  गये हैं  अब , इसलिए  शायद  पूरी   नही     होती . वो समझा होता हालातो की असलियत! तो आज शायद इतनी दूरी नही होती. दुआ हैं कि तुझे गम का दीदार भी ना हो , दिल से मांगी दुआ कभी अधूरी नही होती . वो चेहरा छुपा के निकलता है रास्तो पर , दोस्त ! हर नजर की आदत बुरी नही होती .