दिल बार बार करता है ,दिल बार बार है कहता . अरमानो को गूंथकर शब्दों को पिरोकर एक लिख दू कविता. जिसमे एक पिता हैं जो प्यार करता है सुबह के उगते सूरज सा कर्तव्य में झुलसता है दोपहर के सूरज सा और जिसका मजबूर बुढ़ापा हो शाम का ढलता सविता . अरमानो को गूंथकर ................ जिसमे एक माँ हो , जिसका ह्रदय होता है निर्मल प्यार बरसता है जिसमे बनके बादल. लबो पे जिसके शिकायत नही वो प्यारी पावन माता . अरमानो को गूंथकर ................ जिसमे एक बहन है जो , शरारते करती है अक्सर पीट देती है पकडकर कान खीचकर लाल कर देती है और फिर बड़ी होकर ,किसी की होकर ,तोड़ लेती है रिश्ता अरमानो को गूंथकर ................ जिसमे एक भाई है . जिसके साथ पढ़ते है लड़ते है , छोटी २ बातो पर खूब झगड़ते है , और फिर बिछड़ जाते है किनारों की तरह ,बेचारी