मैं तन्हा अकेला ....
जब कभी मैं तेरी जानिब चला था . मैं तन्हा था, मैं अकेला था. बेवफाई से जब तेरी वाकिफ हुआ तो , दर्द के घर में गमो का मेला था. आज कोई लाख इलज़ाम दे उसको मगर , एक वक्त था, कि वो बड़ा भला था. आज आईने से वो डरता सा हैं , वरना तो उसे भी देखकर चाँद निकला था. उसकी आँखों से भी निकले हैं अश्क . नमाज के बाद कल जब वो मिला था.