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मैं तन्हा अकेला ....

जब कभी मैं तेरी जानिब चला था .  मैं    तन्हा  था, मैं    अकेला    था.  बेवफाई से जब तेरी वाकिफ हुआ तो ,  दर्द के घर में  गमो  का  मेला    था. आज कोई लाख इलज़ाम दे उसको मगर ,  एक  वक्त  था,  कि  वो  बड़ा भला था.  आज  आईने  से  वो  डरता  सा  हैं ,  वरना तो उसे भी देखकर चाँद निकला था.  उसकी  आँखों  से  भी  निकले हैं अश्क .  नमाज के  बाद  कल जब  वो मिला था.

वो लम्हा...

वो लम्हा बड़ा बुरा था . जब मैं तुमसे जुदा हुआ था . तुमने भी मुड कर  नही देखा मुझे, मैं बहुत देर तक उसी मोड़ पर रुका था. वो शक्स क्यू हैं खफा इतना मुझसे ? मैं कभी जिसकी धडकन बना था . गम बे इन्तहा  नसीब किये उसने मुझको , जब उसे बताया कि वो मेरा खुदा था .