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मार्च 7, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमने देखा हैं ...........

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सुबह का सूरज हमने ढलते देखा हैं . सर्द रात में बर्फ पिघलते देखा है . अपनी आस्तीनों को देखते रहना .                                 बगलों से सांप निकलते देखा हैं . पाक दामन का दावा वो कर नही सकता. कल शब उसे दाग धुलते देखा हैं . अश्को का कोई एहतराम नही मुझको. गम और ख़ुशी में भी निकलते देखा हैं. देखा हैं आँखों से सच का लंगडापन . अफवाहों को मस्ती में चलते देखा हैं.