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मई 30, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इंतज़ार....................................

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दोस्त तेरी आवाज़ की अब गूँज नही आती . तेरी याद तो बहुत आती है मगर तू नही आती . तू देखना चाहती  है मेरे इंतज़ार की हद को , मैं भी देखता हूँ तू कब तक नही आती . बहुत असर है संगदिल मेरी दुआओ मैं , देखता हू तू कैसे थामे जिगर नही आती , एक मैं हूँ जो मिट सा गया हूँ तेरी चाह में . एक तू है जिसे शरम तक नही आती .                                                                 poet.tyagi.poem@gmail.com