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इस प्यार का पता कैसे चलता हैं .....

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नही पता ,इस प्यार होने  का पता कैसे चलता हैं , इसमें क्या खो जाता है ,क्या मिलता है . कोई कहता हैं ,दिल की धडकने बढ़ जाती हैं , कोई कहता हैं , उसे देखकर आँखे झुक जाती हैं . पर मुझे तो ,ना दिल का ख्याल रहता हैं , ना अपनी निगाहों पे कमान रहता हैं , कोई कहता हैं , नींदे उड़ जाती हैं , कोई कहता हैं ,जिन्दगी बदल जाती हैं , पर मेरे तो ख्वाबो में तू हैं . और मेरी तो जिन्दगी तू हैं . कोई कहता हैं , उससे मिलने की आरज़ू होती हैं . कोई कहता हैं ,हर पल उसी से गुफ्तगू होती हैं . मगर मैं हूँ ही नही , मैं तो तू हैं . फिर तू कैसे भला खुद से कर सकती गुफ्तगू हैं . सच तो ये हैं कि अब अपने वजूद का अहसास नही . कोई पल नही ऐसा जब तू मेरे पास नही.