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मई 6, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरी किस्मत......

चाहा जिसे भी मैंने वही बेवफा हुआ , किस्मत बुरी है मेरी मुकद्दर खफा हुआ . खुद की नज़र में जो कुछ भी न थे कभी , सजदा किया जो मैंने वो शक्स खुदा हुआ . मौजूद थे जब तलक वो रोशन था चमन ये , हर कांटा रो पड़ा , जब वो गुल जुदा हुआ . तेर सादगी भी कयामत है मानो मेरा यकीं . खुदाई को जला के रख देगा, तेरा आँचल गिरा हुआ .                                                               poet.tyagi.poem@gmail.com