मेरी किस्मत......
चाहा जिसे भी मैंने वही बेवफा हुआ , किस्मत बुरी है मेरी मुकद्दर खफा हुआ . खुद की नज़र में जो कुछ भी न थे कभी , सजदा किया जो मैंने वो शक्स खुदा हुआ . मौजूद थे जब तलक वो रोशन था चमन ये , हर कांटा रो पड़ा , जब वो गुल जुदा हुआ . तेर सादगी भी कयामत है मानो मेरा यकीं . खुदाई को जला के रख देगा, तेरा आँचल गिरा हुआ . poet.tyagi.poem@gmail.com