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जनवरी 14, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नहीं आया

वो चला गया तो  लौट  के  वापस नहीं आया। मेरे साथ रहा था जो कभी बनके साया। जिन्हे  एहसास कराया उल्फत का हमने , वो कहते हैं की हमे ढंग से जताना नहीं आया। साँसों से, आँखों से , इशारो से बयाँ  की,  जालिम को ना जाने क्यूँ  समझ  नहीं आया। इश्क़ तो ऐसा था कि एक मिसाल बनता , पर ना मुझे मिला ना उसी के काम आया। उतरते कैसे हैं दिल मे मालूम था मुझे, पर दिल से किसी को जुदा ना करना आया।