इश्क़ का चर्चा
लजा जाता हैं जब सुनता हैं, कही वो इश्क़ का चर्चा।
दिलों की महफ़िल में शुरू फिर, पुराने इश्क़ का चर्चा।
कोई अगर पूछ ले उससे, क्या हैं एहसास मोहब्बत का।
गुड़ गूंगे का लो मजा बस, क्यों लफ्जो का बेकार का खर्चा।
मिलना था ,ना मिल पाए, अब गैरो की अमानत वो।
मगर रखता है मेरे दिल मे, खुदा से पहले वो दर्जा।
गलत है गर नाम लेकर मैं, करू रुसवां चाहत को।
गुपचुप इश्क़ करने में, बताये क्या भला हर्जा।
दिलों की महफ़िल में शुरू फिर, पुराने इश्क़ का चर्चा।
कोई अगर पूछ ले उससे, क्या हैं एहसास मोहब्बत का।
गुड़ गूंगे का लो मजा बस, क्यों लफ्जो का बेकार का खर्चा।
मिलना था ,ना मिल पाए, अब गैरो की अमानत वो।
मगर रखता है मेरे दिल मे, खुदा से पहले वो दर्जा।
गलत है गर नाम लेकर मैं, करू रुसवां चाहत को।
गुपचुप इश्क़ करने में, बताये क्या भला हर्जा।
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