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कुछ उलझा -२ सा मन हैं .....

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कुछ उलझा -२ सा मन हैं ..... कुछ बहका -२ सा मन हैं... फूलो में देखा हैं  प्यारापन , काँटों में भी तो हैं अपनापन .                                           दोनों को चुनने का मन हैं ...... कुछ उलझा -२ सा मन हैं .....                                                      तेरी यादो से प्यार बहुत हैं , लेकिन और भी तो काम बहुत हैं , बहुत जरूरी  जीवनयापन हैं ..... कुछ उलझा -२ सा मन हैं ..... रात -२ भर चाँद रुलाया . तुमको दिल ये भूल न पाया . इश्क का कैसा भोलापन हैं.... कुछ उलझा -२ सा मन हैं .....