नहीं आया
वो चला गया तो लौट के वापस नहीं आया।
मेरे साथ रहा था जो कभी बनके साया।
जिन्हे एहसास कराया उल्फत का हमने ,
वो कहते हैं की हमे ढंग से जताना नहीं आया।
साँसों से, आँखों से , इशारो से बयाँ की,
जालिम को ना जाने क्यूँ समझ नहीं आया।
इश्क़ तो ऐसा था कि एक मिसाल बनता ,
पर ना मुझे मिला ना उसी के काम आया।
उतरते कैसे हैं दिल मे मालूम था मुझे,
पर दिल से किसी को जुदा ना करना आया।
मेरे साथ रहा था जो कभी बनके साया।
जिन्हे एहसास कराया उल्फत का हमने ,
वो कहते हैं की हमे ढंग से जताना नहीं आया।
साँसों से, आँखों से , इशारो से बयाँ की,
जालिम को ना जाने क्यूँ समझ नहीं आया।
इश्क़ तो ऐसा था कि एक मिसाल बनता ,
पर ना मुझे मिला ना उसी के काम आया।
उतरते कैसे हैं दिल मे मालूम था मुझे,
पर दिल से किसी को जुदा ना करना आया।
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