नहीं आया

वो चला गया तो  लौट  के  वापस नहीं आया।
मेरे साथ रहा था जो कभी बनके साया।
जिन्हे  एहसास कराया उल्फत का हमने ,
वो कहते हैं की हमे ढंग से जताना नहीं आया।
साँसों से, आँखों से , इशारो से बयाँ  की,
 जालिम को ना जाने क्यूँ  समझ  नहीं आया।
इश्क़ तो ऐसा था कि एक मिसाल बनता ,
पर ना मुझे मिला ना उसी के काम आया।
उतरते कैसे हैं दिल मे मालूम था मुझे,
पर दिल से किसी को जुदा ना करना आया। 

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