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अप्रैल 12, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हौसला ..................

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तेज थी हवा बहुत, था दीये मे तेल कम बहुत . हौसला दीपक का देख,वो देर तक जला बहुत . वादे पर तेरे यकीन ,मैं इंतजार करता रहा , बह चुका गंगा मे तब से,अब तलक पानी बहुत. लाख चाहा रोकना मगर अश्क आँख से मेरे छलक ही पड़े ये जो, था सीने मे दर्द बहुत . धडकने खामोश और ख्वाबो के तेरे सिलसिले तन्हा दिल जब भी हुआ,आई तेरी याद बहुत. जमजमे दजला-फरात से,अश्क कमतर नही बेबस कोई भी दिल हुआ तो,रोता है खुदा बहुत. लफ्ज खुद आते रहे मैं बगल रहा खड़ा इनायत एक ओर गजल खुदा शुक्रिया बहुत